गर्व से कहो
मैं ब्रह्मांड गुरु हूँ!
मैं पर-ब्रह्म ,मैं त्रिभुवन विजेता,
मैं हिटलर का नाती, सिकंदर का पोता!
कुछ भी कहें विरोधी, श्रेष्ठता कम ना होगी,
कर लो मेरी जय जयकार हो जाओ भव-सागर पार!
मैं पर-ब्रह्म ,मैं त्रिभुवन विजेता,
मैं हिटलर का नाती, सिकंदर का पोता!
कुछ भी कहें विरोधी, श्रेष्ठता कम ना होगी,
कर लो मेरी जय जयकार हो जाओ भव-सागर पार!
वो दर्शनशास्त्र प्रोफेसर था, झक्की माना जाता था। उसने एक रोज़ क्लास में घुसते ही कहा "मैं दुनिया का सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति हूँ" .....विद्यार्थी हँसे, उसने कहा "हँस लो, हँस लो! पर यदि मैंने ये बात साबित कर दी कि मैं ही दुनिया का सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति हूँ, तो तुम लोग रोज़ क्लास में मेरे आते ही यही वाक्य मेरे लिए कहोगे".....विद्यार्थी उत्सुकता से भर गए, उसने अपने तथ्य रखने शुरू किए।
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गर्व से कहो हम "विश्व गुरु हैं" |
मैं पर-ब्रह्म ,मैं त्रिभुवन विजेता,
मैं हिटलर का नाती, सिकंदर का पोता!
कुछ भी कहें विरोधी, श्रेष्ठता कम ना होगी,
कर लो मेरी जय जयकार हो जाओ भव-सागर पार!
गुरु जी कुछ इस तरह, मस्ती में गा रहे थे,
स्टूडेंट्स संग में झुनझुना बजा रहे थे।
उस रोज कक्षा में "अच्छे दिन"आ रहे थे!
लेखक- धर्मेश कुमार रानू
Dharmesh Kumar Ranu
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