गुजरात में केजरीवाल की एंट्री किसको भारी पड़ी?
गुजरात (Gujarat) में इस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के बीच चुनावी लड़ाई जारी है. गुजरात भारतीय जनता पार्टी का गढ़ है। यहां पिछले 27 साल से भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार है। अब आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) भी गुजरात में अपनी सरकार बनाने के लिए एक के बाद एक जन सभाएं, रैलियां और प्रचार कर रही है.
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गुजरात में लगातार दौरे कर रहे हैं केजरीवाल |
इसी दौरान बीते दिनों, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सूरत और भावनगर में रैलियों को संबोधित कर रहे थे, तब राष्ट्रीय समाचार और वेबसाइट अमर उजाला (Amar Ujala) द्वारा सबसे बड़ा ऑनलाइन सर्वेक्षण (Online survey) किया गया था। 2.5 लाख दर्शकों में से 20 हजार ऑनलाइन सक्रिय मतदाताओं ने मतदान किया और इस ऑनलाइन सर्वेक्षण में पूछा गया कि क्या केजरीवाल मोदी पर भारी हैं?
तो एक आश्चर्यजनक आंकड़ा निकलकर सामने आया, जिसने अब तक के सबसे बड़े ऑनलाइन सर्वे के लिहाज से और इसके सैंपल साइज़ के लिहाज से, सभी के होश उड़ा दिए हैं। जी हां दोस्तों! इस सर्वे का सैंपल साइज़ था 2.5 लाख, यानी यह 2.5 लाख लोगों के बीच किया गया अब तक का सबसे बड़ा ऑनलाइन और लाइव सर्वे था, इसलिए इसके चौका देने वाले दावों को नजरंदाज करना भी उचित नहीं है, और इस सर्वेक्षण को खारिज कर देना भी उचित नहीं है। क्योंकि यह पूरी तरह से ओपेन सर्वे था जिसका रिजल्ट और आगे की प्रोग्रेस जनता खुद ब खुद देख रही थी। दोस्तों अगर बात करें इस सर्वे के परिणामों की तो यहां अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को एक शानदार बढ़त मिलती दिखाई दी, और प्रधानमंत्री मोदी को इस सर्वे में पिछाड़कर केजरीवाल आगे निकल गए।
दोस्तों दरहसल इस ऑनलाइन सर्वेक्षण में पूछा गया कि क्या केजरीवाल मोदी पर भारी हैं? तो 57% लोगों ने हां में जवाब दिया और 43% लोगों ने ना कहा। केजरीवाल के खेल में 57 फीसदी लोगों ने वोट किया। यह स्थिति क्या दर्शाती है! अरविंद केजरीवाल के समर्थन में 57 फीसदी बढ़त बनाना कोई छोटी बात नहीं है।
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इससे पता चलता है कि जनता किस पार्टी का समर्थन करेगी। और इससे बहुत कुछ तय होता है, क्योंकि अभी तक हर इलेक्शन में भाजपा को सोशल मीडिया के ज़रिए पब्लिक में नैरेटिव सेट करने और उनके हित में परसेप्शन डेवलप करने में महारत हासिल थी, पर सर्वेक्षण से ये लगता है कि भाजपा की आईटी सेल और मीडिया विंग कही ना कही गुजरात के 27 साल के शासन और उससे उपजी भीषण एंटी इनकंबेंसी (Anti Incumbency) का मुकाबला कर पाने में असमर्थ है। और दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी की आईटी सेल (Aam Aadmi Party IT cell) ने जनता के आम मुद्दे और एंटी इनकंबेंसी का भरपूर फायदा उठाया है, और उसके उनकी पार्टी के फेवर में प्रोपेगेट करने में सफल भी रहे हैं।
हालांकि जिस तरह से अरविंद केजरीवाल ने पहले दिल्ली में अपनी सरकार बनाई, फिर पंजाब में अपनी सरकार बनाई और अब गुजरात की ओर बढ़ रहे हैं। अरविंद केजरीवाल जिस तरह से दिल्ली (Delhi) और पंजाब (Punjab) में काम कर रहे हैं, और उसका प्रचार भी कर रहे हैं उसे देखकर गुजरात के लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता बढ़ रही है, क्योंकि अरविंद केजरीवाल गुजरात में लगातार अपने भाषणों में ये दावे करते हैं कि उन्होंने दिल्ली और पंजाब में जनता को जो वादे किए थे उन वादों को पूरा करके दिखाया है और अब गुजरात का मध्यम व गरीब वर्ग तो केजरीवाल से प्रभावित दिख ही रहा है, पर कुछ बड़े शहरों व अन्य शहरी इलाकों में भी केजरीवाल की अच्छी खासी चर्चा है, और अरविंद केजरीवाल ने खुद को इस गुजरात विधानसभा के चुनावी रण में सीधा सीधा भाजपा के सामने लाकर खड़ा कर दिया है, इस सब खेल में गुजरात कांग्रेस इकाई (Gujarat Congress) बिलकुल निष्क्रिय नजर आ रही है। और उस बात का भरपूर फायदा अरविंद केजरीवाल को मिलता हुआ दिखाई दे रहा है।
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Gujarat में AAP की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है |
गुजरात के लोगों के बीच आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, यह इस ऑनलाइन सर्वे और तमाम, इंटरनल पोल्स और ओपिनियन पोल्स में देखा जा चुका है। तो ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या गुजरात और गुजरात की जनता अब बदलाव चाहती है? क्या अब गुजरात के लोग गुजरात में आम आदमी पार्टी की सरकार चाहते हैं?
रिपोर्ट: हर्षित गुजराती
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