INS विक्रांत के पुर्जे-पुर्जे में नेहरू
पंडित नेहरू का नाम फिर से लेना ही पड़ेगा. मॉडर्न इंडिया का महापंडित अगर इतना दूरदर्शी नहीं होता तो मोदी जी को फोटू खिंचाने का मौका नहीं मिलता.
INS विक्रांत का : - डिज़ाइन तैयार किया था Directorate of Naval Design ने जिसकी बुनियाद नेहरू के कार्यकाल में 1954 में रखी गई थी.
बाद में 1964 में इसका विस्तार किया गया. नाम बदलकर क्रेडिट लूटने में माहिर मोदी सरकार ने पिछले महीने अगस्त में ही इसका नाम बदलकर Warship Design Bureau कर दिया. सोचिए उपनिवेशवादी मानसिकता से मुक्ति में मोदी जी ने कितना बड़ा योगदान दिया!
- डिज़ाइनिंग से लेकर कमिशनिंग तक में DRDO शामिल था. DRDO की स्थापना 1958 में की गई थी. बताने की ज़रूरत नहीं कि तब नेहरू ही प्रधानमंत्री थे. आज DRDO सार्वजनिक क्षेत्र का गौरव है. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को मोदी सरकार गुड़-तेल के भाव बेच रही है -यह भी बताने की ज़रूरत नहीं. आईएनएस विक्रांत ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में एक प्रमुख भूमिका निभाई।
![]() |
नेहरु की दूरगामी सोंच का परिमाण है DRDO |
- INS विक्रांत बनाने में जो उच्च गुणवत्ता का स्टील लगा वो SAILने दिया. SAIL की स्थापना 1954 में नेहरू ने की.
![]() |
दिसंबर 16, 1957 -पंडित जवाहरलाल नेहरू राउरकेला स्टील प्लांट के दौरे पर |
- INS विक्रांत के लिए इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट सिस्टम तैयार किया BHEL ने जिसका रजिस्ट्रेशन नेहरू के कार्यकाल में हुआ. लाल बहादुर के वक्त कंपनी तैयार होकर खड़ी हो गई.
![]() |
BHEL नई दिल्ली यूनिट- Archive Image by BHEL Official Website |
निजी क्षेत्र की कंपनियों मसलन लार्सन एंड टर्बो, किर्लोस्टकर आदि का जिक्र इसलिए नहीं कर रहा हू्ं क्यूंकि इनके बारे में टीवी मीडिया ने बता ही दिया होगा कि मोदी जी की देशभक्ति से प्रेरणा लेकर किस तरह प्राइवेट कंपनियों ने INS विक्रांत के जरिए आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया जैसे (सुपर फ्लॉप) अभियानों में अपना योगदान दिया.
INS विक्रांत को मोदी सरकार आत्मनिर्भर भारत की उपलब्धि के तौर पर प्रचारित कर रही है लेकिन यह नेहरू ने आधुनिक भारत के लिए जो सपना देखा था उसका प्रतिफलन है.
अंध समर्थकों के साथ-साथ कोई भी बता सकता है कि पिछले आठ साल में सिवाय फोटू खिंचवाने, जनता को आपस में लड़वाने और धनबल, एजेंसियों के दुरुपयोग के जरिए चुनी हुई सरकारें गिराने के अलावा शहंशाह ने ऐसा क्या किया है जिसका लाभ भारत की आने वाली पीढ़ियों को मिलेगा ?
लेखक -विश्व दीपक
0 टिप्पणियाँ