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कौन है भारत का असली लुटेरा? सुनिए लुटेरों की दास्ताँ!- The Real Pirates of the Caribbean

पाइरेट्स ऑफ कैरिबियन से पाइरेट्स ऑफ़ द इंडियन



आपको Pirates of the Caribbean मूवी याद होगी आपको, और जॉनी डेप्प (Johnny Depp) का मशहूर किरदार कैप्टन जैक स्पैरो भी। आप इन पाइरेट्स को क्रिमिनल, लुटेरा और आउटलॉ मानते रहे हैं। पर सच्चाइयां अक्सर उलट होती है।

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मैं बकेनियर्स (Buccaneers) की बात कर रहा हूँ। याने, सरकारी पाइरेट्स (Pirates) जिन्हें राजा की ओर से लूट का लाइसेंस मिला होता था।
ये सोलहवीं सदी का दौर था। समुद्र, तब का नया इंटरनेट था। हाई सीज, व्यापार का हाइवे बन रहे थे। नौकायन, जहाजरानी, नेविगेशन में नई खोजें हो रही थी।
नई जमीन नए देश,नए जलमार्ग खोजे जा रहे थे। उनसे व्यापार किया जा रहा था। जहाजो में भरा माल, कमाए गए सिक्के, उनमें चप्पू चला रहे गुलाम.. ये सब मिलकर एक व्यापारिक शिप को तैरता हुआ बटुआ बना देते थे।

तो इन्हें लूटकर रातोरात अमीर होने के इच्छुक भी थे।

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समुद्री लुटेरा होना आसान न था। हाई स्किल, हाई रिसोर्स का काम था। इसके ऊपर सबसे बड़ी जरूरत थी, एक देश, जहां आप लूट की अकूत दौलत खर्च करें। बंगले बनायें, ऐश करें, आजाद घूम सकें।
तो पहले तो कुछ जियाले, जिन्होंने अपनी छोटे मोटे शिप्स से लूटमार का स्टार्टप खोला था, सबको बराबर लूटते रहे। फिर उन्हें सरकारी संरक्षण का महत्व समझ आ गया।
तो वे देशभक्त लुटेरे बन गए। याने राजा साहब से लाइसेंस लिया, कि वे सिर्फ विदेशी शिप लूटेंगे। लूट का एक हिस्सा राजा को टैक्स देंगे।
सरकारी प्रश्रय पाकर इन डकैतों ने बेईम्तिहाँ तबाही मचाई 

राजा भी उन्हें हथियार, आदमी, फंडिंग देगा, ताकि विदेशी राजाओ की नेवी से वे डटकर लड़ सकें। डकैतों के परिवार को सभ्य स्कूलों में दाखिला, सुरक्षा और सम्मान के साथ शरण देगा।
राजाओ ने खुशी खुशी ये सिस्टम एडॉप्ट किया। ये लाइसेंसी डकैत ही बकेनियर्स (Buccaneers) कहलाये।

पारंपरिक बकेनियर्स(Buccaneers) का चित्रण 

दरअसल राजाओ के लिए यह बड़ा लयुक्रेटिव सिस्टम था। अपने शिप्स बच जाएंगे, सुरक्षा करवाने पर खर्चा जीरो। उधर दूसरों के लुट जाएंगे, टैक्स मिलेगा खजाने को।
कुछ तो इतने उत्साहित हुए कि निजी धन लगाना शुरू कर दिया। इसका मतलब, समुद्र में जो जैक स्पैरो आपको लूट रहा है, उसका पार्टनर एक भी राजा है, जो आपकी निगाहों से बहुत दूर, कहीं नर्तकियों का नृत्य देख रहा है।
या सम्भवतः किसी चुनावी सभा को सम्बोधित कर रहा हो।
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बकेनियर्स ने जितना दुनिया पर छाप छोड़ी है, वह आपकी कल्पना से अधिक है। क्योकि इन समुद्री लुटेरों में समुद्र पार करके, दूसरे छोर की जमीनों पर कब्जा शुरू किया।
कोलम्बस (Christopher Columbus), कैप्टन कुक (James Cook) जैसे लोगो ने राजा से संधि की, की जितने इलाके वे खोजेंगे, लूटेंगे, कब्जा करेंगे.. वहां के गवर्नर वे खुद बनेंगे, लेकिन झंडा राजा साहब का होगा।

James Cook और Christopher Columbus का चित्र 
इस तरह कॉलोनियां बननी शुरू हुई। ब्रिटिश, डच, पुर्तगीज, फ्रेंच ने पहले पहल बकेनियर्स के बूते ही कालोनियां सेटअप की।
ब्रिटिश नेवल टेक्नोलॉजी में आगे थे, उनके यहां पब्लिक कम्पनी बनाने का सिस्टम भी पहले सुदृढ हो गया। राजा भी बेशर्मी से इन्हें बैकअप देता रहा।
तो कम्पनियों और बकेनियर्स के बूते ब्रिटिश साम्राज्य इतना बढ़ गया कि उसके राज में सूरज अस्त नही होता।
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यह दुनिया के इतिहास का अबोला हिस्सा है। डकैत महान खोजी बना दिये गए। लूट, नशे, गुलामो के व्यापार से पैसे बनाने वाले संसद में भेजे गए। माननीय बने, गवर्नर बने, लार्ड बने। अपने दौर की दुनिया के पहले दूसरे तीसरे नम्बर के अमीर बने।
इतिहास खुद को दोहराता रहता है। कभी त्रासदी, कभी ठिठोली बनकर। चार सदी बाद, भारत के लाइसेंसी लुटेरे भी दुनिया के अमीरों सें कन्धा मिलाने लगे हैं।
फर्क यह कि उनके बकेनियर्स सिर्फ विदेशियों को लूटते थे और हमारे वाले अपने देश को।
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फिर भी माननीय है, रोजगारदाता हैं, देश का गर्व हैं। मैं नही जानता कि इतिहास के इन दोहराव को आप त्रासदी मानते हैं, या ठिठोली।

लेकिन इन बकेनियर्स पर कभी फ़िल्म बने तो उसका नाम बस एक ही हो सकता है
पाइरेट्स ऑफ द इंडियन..

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