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फर्जी बाबाओं की टोली, लगा रही है धर्म की बोली

बाबा तीन तरह के होते हैं।


नीचे से शुरू किया जाए। थर्ड क्लास पब्लिक के थर्ड क्लास बाबा। ये बाबे भूत, प्रेत उतारते हैं। शादी ब्याह, प्रेम,प्यार, परीक्षा, धन दौलत, सौतिया डाह, नामर्दी का भभूत बेचते हैं। इनकी सारी चमत्कारी शक्तियां ऑन सेल होती हैं।
ये खुलकर पैसे के बदले सेवा देते हैं। कॉम्बो पैक भी मिलता है, याने यह सम्भव है कि धन दौलत और परीक्षा पास करवाने की फीस में सौतिया डाह का निपटान, एकदम फ्री कर दें।
सांकेतिक चित्र

माल बेचने वाले बाबा इसी कैटगरी में आते हैं। वे योग, दवा, आटा, दाल, दही भी बेच सकते हैं।
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दूसरे किस्म के बाबा सेल्फ सेवक होते हैं, याने किसी का भला नही करते। लेकिन भक्त भरमार होते हैं, जुबान जो चमत्कारी होती है। भौतिक माल नही होता, ये आपके भीतर की नफरत उघाड़कर आप ही को बेचते हैं।

आपकी कुंठा और कुटैव को गर्व में कन्वर्ट करने में इन्हें महारत हासिल होती है। प्रारम्भिक तौर पर यह कुछ बेचते खरीदते नही दिखते। लेकिन यह ईश्वर और अल्लाह को बेचते हैं। अब कुछ देशों में बुद्ध भी बेचे जाते हैं।
यह मध्यम श्रेणी है, लेकिन सबसे खतरनाक। अल्टीमेट ऑब्जेक्टिव देश बेचना होता है। बेच बाचकर झोला उठाकर चले जाते हैं।
एडिट-इस पोस्ट में उनके भक्त आएंगे, जो कहेंगे कि पीरो फकीरों पर पोस्ट लिखकर दिखाओ, तो जानें
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तीसरी कैटगरी में सबसे हाई, सॉफिस्टिकेटेड बाबे हैं।
ये पैसे वालों के बाबा हैं। जो सब कुछ कमा चुका, उसे मन की शांति बेचते हैं। फ़्लूएंट अंग्रेजी, बड़ी ब्रांडिंग, गोरे भक्त, विदेशी आश्रम, गीता, वेद पुराण, कुरान, बुद्ध, नीत्शे, काफ्का, टॉलस्टॉय के उद्धरण, और प्रेम, सैक्स हर चीज से शांति खोजकर आपको टिका देते हैं।

इनके प्रवचन अधार्मिक होते हैं। सब कुछ पा चुका हाई क्लास भक्त इनके साथ हंसता है। इनके आयोजनों में खुलकर भाग लेता है। बिन मांगे सब अर्पण करता है।
और सबसे बड़ी चीज इनके पास जो होती है, वह नेटवर्किंग हैं। एक हाई प्लेस्ड शिष्य से, दूसरे हाई प्लेसड़ शिष्य का काम करवाते हैं। यह नेटवर्किंग इनकी सबसे बड़ी ताकत है।
हालांकि ये ताकत सीमित मात्रा में दूसरे बाबो में भी होती है। मध्यम श्रेणी वाले किसी के काम नही आते। निम्न वाले पैसे के बदले नेटवर्किंग बेचते हैं, उच्च वाले फ्री। इस तरह सॉफिस्टिकेटेड बाबा, कुछ नए हाई क्लास शिष्य कमा लेते हैं।
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तीनो किस्म के बाबे के पास अलग अलग किस्म के भक्त जाते है। बाबा का चयन, भक्त के लेवल औऱ आंतरिक व्यक्तित्व को प्रदर्शित करता है।
इसलिए यह पोस्ट बाबाओं के वर्गीकरण की नही है। आपने किस तरह के बाबा पर अपनी आस्था रखी है, यह दरअसल व्यक्ति के तौर पर, आपके अपने व्यक्त्वि का वर्गीकरण बताता है।
तो बताइए, आपका लेवल क्या है।
फर्स्ट क्लास, सेकेंड या थर्ड क्लास

और जो इन बाबाओं के बंधन से मुक्त है, मेरी शरण मे आ जाये। हमारी मंडली में हर किस्म के बाबे को बदस्तूर गरियाया जाता है। अमित के पापा की पंक्तियां, हमारे आश्रम की दीवारों पर खुदी हुई हैं।
धर्मग्रंथ सब जला चुकी है
जिसके अंतर की ज्वाला‚
मंदिर‚ मस्जिद‚ गिरजे सबको
तोड़ चला जो मतवाला‚
पंडित‚ मोमिन‚ पाादरियों के
फंदे को जो काट चुका‚
कर सकती है आज उसी का
स्वागत मेरी मधुशाला।


लेखक: मनीष सिंह "रीबोर्न"  


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