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भाजपा की आईटी गैंग, भस्मासुर साबित होगी - लिख के रखिये

BJP IT Cell, BJP Media Management

Highlights

IT Cell के काले कारनामें, लोगों को पहनाओ झूठ के पैजामें 

जब आईटी सेल (आईटी गैंग) दुम दबाकर भागी 

हाई प्रोफाइल आईटी गैंग सक्रीय, कई बड़े नाम शामिल 

भस्मासुर बनकर टूटेगा यह आईटी गैंग का दानव 

जैसे जैसे चुनाव नज़दीक आते हैं भाजपा "आईटी सेल" (BJP IT Cell) (सुधार:आईटी गैंग) चुनाव में भाजपा से भी आगे बढ़कर मोर्चा संभालती है, ऐसा कई बार देखा गया है कि इस पार्टी की आईटी सेल ने कई ऐसे झूठ प्रचारित किये हैं जिसके कारण जनता के मन में एक विशेष पार्टी या व्यक्ति के प्रति नकारात्मक छवि बनी और अपने विरोधियों की इस नकारात्मक छवि के चलते भाजपा ने एक पब्लिक परसेप्शन को (धारणा) खड़ा किया और उसका पूरा पूरा लाभ चुनावों में उठाया। 

भाजपा आईटी सेल अपना ये ज़हरीला खेल कई विपक्षी नेताओं के साथ खेल चुकी है, जैसे राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को "पप्पू" यानि की एक कमज़ोर और नासमझ नेता की तरह स्थापित करने में भाजपा बहुत कामयाब हुई, फिर उसके द्वारा यही प्रयोग अन्य नेताओं के विरुद्ध भी किया जाने लगा, जैसे उत्तर प्रदेश के चुनावों के दौरान  अखिलेश यादव, बंगाल के चुनावों में ममता बैनर्जी, और इसी तरह अन्य राज्यों में भाजपा अपने इस खेल को खेलकर सफल हुई तो कहीं उसे शिकस्त मिली। पर जो भी हो एक बात तो तय है कि भाजपा के आईटी सेल द्वारा फैलाई गई अल्प- संख्यक समुदाय के प्रति नफरत, विपक्षी नेताओं के प्रति हीनता की धारणा और साथ साथ झूठे ऐतिहासिक सन्दर्भों ने अपना काम सही तरीकों से किया है, तथा इससे एक बड़े वर्ग में विपक्ष के प्रति एक हीनता की भावना पनपी है। 

पर हमारे अवध में एक कहावत है "सब दिन होत ना एक समाना" यानि कि सारे दिन एक जैसे नहीं होते, समय परिवर्तनशील है। भारत के लोग भोले हैं पर मूर्ख नहीं, इसीलिए यहाँ के लोग इनकी मशीनरी का ज़्यादा दिन शिकार नहीं हो सकते, इसलिए आज पूरे देश में भाजपा की आईटी गैंग के सामने अन्य पार्टियों ने भी अपनी एक सशक्त आईटी सेल खड़ी कर ली है। अनेकों सोशल मीडिया ग्रुप्स हैं जहाँ लाखों लाख लोग जो भाजपा की नीतियों से त्रस्त हैं वे मौका मिलते ही आईटी सेल और उसके "पेड आर्मी" (भत्ता पोषितों) के सामने  एक मज़बूत दीवार बनकर खड़े हैं, और इस बात की बानगी अनेकों मौकों पर देखी भी जा रही है। 

अभी हाल ही में भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के दौरान राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की टीशर्ट पर भद्दा मज़ाक करना भाजपा को बहुत भारी पड़ा था, इस दौरान भाजपा के ऑफिशल हैंडल (Smriti Irani) के राहुल गांधी को लेकर एक झूठे बयान की भी पोल खुल गई थी, जिसमें वो एक जन सभा को सम्बोधित करते हुए जो कह रहीं थीं उसका आश्य ये था कि"भारत जोड़ो यात्रा के कन्याकुमारी से हुए आरम्भ के दौरान स्वामी विवेकानंद की मूर्ती को नमन करना राहुल गांधी ने ज़रूरी ना समझा" इसके बाद राहुल गांधी के वो वीडियोज़ शेयर किये जाने लगे जिसमें वे इस यात्रा के आरम्भ से पहले स्वामी विवेकानंद मेमोरियल जाकर उन्हें प्रणाम करके आये थे। इस घटना के बाद उनके बयान की खूब भद्द पीटी,  इसके पहले जब प्रधानमंत्री (PM Modi) पश्चिम बंगाल चुनावों के समय  एक रैली को सम्बोधित करते हुए ममता बैनर्जी (Mamata Banerjee)पर व्यंग्य करते हुए बहुत अजीब लहज़े में "दीदी ओ दीदी" जैसे सम्बोधन करते नज़र आये। खुद प्रधानमंत्री को नहीं पता था कि यह उन्हें इतना भारी पड़ जाएगा। इसी सम्बोधन को ममता बैनर्जी और उनकी पार्टी की मिडिया विंग ने एक महिला के सेंटीमेंट्स से जोड़कर खूब प्रचारित किया और इस बात का लाभ भी उन्हें मिला, तृणमूल कांग्रेस (Trinmul Congress) के समर्थकों और महिलाओं के भारी रोष और इस प्रकार के प्रचार ने भी एक तरह से परसेप्शन मेकिंग का काम किया। और गुजरात के चुनावों के दौरान अब यह खेल अरविन्द केजरीवाल के साथ खेला जा रहा है, चूँकि गुजरात में इस चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल अच्छे खासे लोकप्रिय नेता बनकर उभर रहे हैं इसलिए अब आईटी गैंग उनके खिलाफ भी सक्रीय हो चुकी है, उनके एडिटेड वीडियोज़ को चलवाया जा रहा है। 

अगर आप चुनावों के दौरान किसी भी विपक्षी नेता की कोई क्लिप सोशल मीडिया पर तैरती पाएं तो कृपया जांच लें, नहीं तो कुछ समय बाद विपक्ष की आईटी सेल या सोशल मीडिया पर सक्रीय स्वतंत्र  विचारकों का समूह खुद उस सच्चाई को सामने ले आएगा। पर कहते हैं कि सच के लिए सब्र करना पड़ता है, और ये भी कहा जाता है कि "झूठ को जितनी बार बोला जाता है और जितनी ज़ोर से बोला जाता है , वो उतना ही सच लगने लगता है" तो इसी प्रकार जिन विपक्षी नेताओं के प्रति फैलाये गए झूठों को हम देखकर उनके प्रति एक हीनता और द्वेष की भावना से ग्रसित हैं। उनके प्रति अगर उनके खिलाफ साजिशों का सच भी अगर हम तक पहुंचाया जाए तो भी हमको यकीन नहीं होगा। क्योंकि जब इतने सारे लोग मिलकर झूठ को फैला रहे हों तो आप करेंगे भी क्या? 

क्या मंत्री झूठा है ? क्या मुख्यमंत्री झूठा है?क्या नेता झूठा है, क्या अभिनेता झूठा है, क्या पत्रकार झूठा है? टीवी चैनल झूठे हैं? क्या तथाकथित संत झूठे हैं?..... अब आप एक बात बताएं, कि अगर ऐसा हो , कि एक "सच" इन्हें कोई फायदा ना पहुंचाए पर एक "झूठ" इन्हें बहुत लाभ दिलवाये, ऐसी स्थित में इनमें से (यानि मंत्री-संत्री, नेता, अभिनेता,पत्रकार, बाबा,) कौन ऐसा है जो पैसों पर, पावर पर, सुविधाओं पर बिकने के लिए तैयार ना होगा? क्या आपको ये सब कुछ उपलब्ध करवाया जाए तो आप अपना ईमान किनारे रख कर सच का सौदा करने को तैयार ना  होंगें? इस बेरोज़गारी की मार झेलते हुए देश में कौन है जो अपने स्वार्थ से पहले सच को रखेगा? कौन बाकी रखेगा अपना ईमान? जब ईमान का सौदा करके सारी सुविधाएँ उसके दुवारे वाई और जेड सिक्योरिटी के साथ खड़ी हैं, फिर क्या कंगना-वंगना, अग्निहोत्री, राम रहीम, भागवत, अर्नब और क्या वो दढ़ियल जग्गी। सब लगे हुए हैं दौड़ में, अब दिहाड़ी आईटी सेल और दो रूपया प्रति ट्वीट का ज़माना गया, अब "URBAN-IT GANG" का ज़माना है, सरकार के हित की खबर चलाइये, प्रौपेगैण्डा फ़िल्में बनाइये, धार्मिक सभाओं में पब्लिक को बहकाईये, किताबों का पाठ्यक्रम बदलवाईये। नेशनल अवार्ड, हाई टेक सुरक्षा,अरबों के टेंडर और करोड़ों के आशियाने पाईये। 

पर ज़रा सोचिये कि इन आखिर भाजपा को इन हाई प्रोफाइल लोगों की आखिर ज़रूरत क्यों पड़ी, जब वो अपनी ट्रेडिशनल आईटी गैंग के साथ अच्छा परफॉर्म कर रहे थे, तो जैसा कि मैनें बताया कि हम और आप जैसे तमाम साधारण लोग भाजपा आईटी गैंग की परसेप्शन मेकिंग को समझ चुके हैं, और स्वतंत्र रूप से सोशल मीडिया पर मुखर विरोध दर्ज करवाते रहते हैं। चूँकि हमारी और आपकी संख्या तो है, पर संगठन नहीं है और हमारे तथ्य जनता के बीच परसेप्शन के रूप में उतनी आसानी से नहीं उतरेंगे जितनी आसानी से इन हाई प्रोफाइल लोगों के झूठ उनको प्रभावित करेंगे। क्योंकि इन हाई प्रोफाइल लोगों की पहुँच हमसे बहुत ज़्यादा है। पर वो दिन दूर नहीं है जब भस्मासुर की तरह खड़ा हुआ "परसेप्शन मेकिंग" का ये दानव खुद के साथ भाजपा की सियासत को भी ले बीतेगा। 


लेखक- धर्मेश कुमार रानू 

(Dharmesh K. Ranu)

(यू.ए.पी.ए., मानहानि, राजद्रोह आदि लग जाने के अंदेशे से अवगत एक कलमकार)

-The LampPost


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