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गुजरात में रेवड़ियाँ बाँट रहे हैं मोदी जी, पर किसका हक़ मारकर?- सबसे बड़ा सवाल!

PM Modi Layed foundation stone of C-295 transport aircraft manufacturing-Vadodara


गुजरात में जब हार नज़र आने लगी, तो मोदी सरकार की तरफ से रेवड़ियां बांटी जाने लगी। 

जी हाँ कुछ ऐसा ही नज़ारा आजकल गुजरात में देखने को मिल रहा है, इस बार गुजरात विधानसभा में 27 साल की एंटी इंकम्बेंसी कुछ कुछ खुले तौर पर सामने आने लगी हैं , इस बार कुछ कुछ ऐसा लगने लगा है  कि मानो गुजरात की जनता ने भारतीय जनता पार्टी को गुजरात से विदा करने का मन बना लिया हो, और गुजरात में बह रही, परिवर्तन की इसी आंधी को भाजपा के गुजरात कैडर के कार्यकर्ताओं ने भांप लिया। इस बात ने देश की सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों तक को चिंता में डाल दिया, और इसीलिए पिछले कुछ महीनों पहले तक जो माननीय प्रधानमंत्री जो कि फ्री बीज़ को रेवड़ी बता कर जनता की मूलभूत आवश्यकताओं को  फ्री में देने का विरोध कर रहे थे, वे खुद इन दिनों गुजरात में कई रेवड़ियां बाँट रहे हैं। पर फर्क सिर्फ इतना है कि ये रेवड़ियां गुजरात (Gujarat) में नहीं बनीं हैं बल्कि इन्हें दूसरे राज्यों से लाकर, उन राज्यों के युवाओं के हक़ को नज़रअंदाज़ करके चुनावी फायदे के लिए गुजरात में बांटा जा रहा है। 

दरहसल हम बात कर रहे हैं 22,000 करोड़ रुपये की टाटा-एयरबस विमान परियोजना (C 295 aircraft manufacturing) की, महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने शुक्रवार को कहा कि "यह चौथी परियोजना है जो महाराष्ट्र से बाहर चली गयी है।" आदित्य ठाकरे की बात भी सच है इसके पहले सितम्बर के महीने में 1.54 लाख करोड़ रुपये की वेदांता -फॉक्सकॉन परियोजना गुजरात के धोलेरा में चली गई थी। 


टाटा-एयरबस सी-295 परिवहन विमान परियोजना:

टाटा-एयरबस सी-295 परिवहन विमान परियोजना, जो गुजरात (Gujarat) के वडोदरा (Vadodara) में शुरू होगी, महाराष्ट्र होने के बावजूद पिछले तीन महीनों में किसी अन्य राज्य में जाने के लिए लगभग 1.8 लाख करोड़ रुपये के कुल निवेश के साथ चौथी बड़ी परियोजना है। उसी के लिए एक दावेदार।

C 295 aircraft manufacturing
सी-295 एयरक्राफ्ट का एक नमूना: चित्र-डिफेंस न्यूज़ 

उद्योग मंत्री उदय सामंत और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को भी 22,000 करोड़ रुपये के टाटा-एयरबस सी-295 परिवहन विमान निर्माण संयंत्र को नागपुर के मिहान में लाये जाने की उम्मीद थी। इस परियोजना से राज्य में लगभग 6,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की उम्मीद थी। पर अब यह परियोजना गुजरात के वडोदरा में चली गई है जिसका शिलन्यास भी प्रधानमंत्री द्वारा किया जा चुका है l (PM Modi Layed foundation stone of C-295 transport aircraft manufacturing


वेदांता-फॉक्सकॉन परियोजना (Vedanta foxconn project): 

सितंबर में 1.54 लाख करोड़ रुपये की वेदांत-फॉक्सकॉन परियोजना गुजरात के धोलेरा को गई थी। हालांकि, कंपनी को महाराष्ट्र के तालेगांव औद्योगिक क्षेत्र में एक सेमीकंडक्टर फैब इकाई स्थापित करनी थी, जिसके लिए स्थान भी तय किया गया था। 

Vedanta foxconn project
वेदांता प्रोजेक्ट से महाराष्ट्र के लाखों युवाओं को नौकरी मिलती 

अनुमान के अनुसार, इस परियोजना पर आश्रित छोटे, बड़े उद्योगों ने लगभग एक लाख नौकरियां पैदा की होतीं।


बल्क ड्रग पार्क परियोजना (Bulk Drug Park):

इस परियोजना के लिए महाराष्ट्र भी मुख्य दावेदारों में से एक था - जिसकी अनुमानित लागत लगभग 3,000 करोड़ रुपये थी। इस परियोजना से लगभग 50,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित हो सकते थे। 

Bulk drug project-Maharashtra MVA

महाराष्ट्र इस परियोजना के लिए तटीय रायगढ़ जिले के रोहा और मुरुद तहसीलों में आने पर जोर दे रहा था और इसके लिए 5,000 एकड़ भूमि निर्धारित की थी। पर ये परियोजना भी महाराष्ट्र के बाहर चली गयी, और ये परियोजनाएं गयीं भी उन्हीं राज्यों में जहाँ चुनाव होने वाले हैं। अब ये संयोग है या प्रयोग आप खुद तय कर लें। 

इसके अलावा, एक और महत्वपूर्ण परियोजना जिसपर महाराष्ट्र का हक़ था वो भी उसे ना मिल सकी, 


मेडिकल डिवाइस पार्क (Medical Device Park):

सितंबर में ही , केंद्र सरकार ने औरंगाबाद के औरिक शहर में 424 करोड़ रुपये के मेडिकल डिवाइस पार्क स्थापित करने के महाराष्ट्र के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। और इसका लाभ दूसरे राज्यों को मिला। 

Medical Device Park-Project

तो ऐसी कुछ परियोजनाएं जिन्हे उद्धव ठाकरे और महाविकास अघाड़ी की सरकार ने मंजूरी दी थी, उन परियोजनाओं का बागी शिंदे गुट और भाजपा की सरकार के होते हुए भी दूसरे राज्यों में चला जाना एक महाराष्ट्र की सरकार के लिए एक दुर्भाग्य की बात है, और ये संयोग तो नहीं हो सकता की चुनावों के मौसम में ये परियोजनाएं उन्हीं राज्यों में चली गई हैं जहाँ आने वाले महीनों में चुनाव होने हैं। और इन परियोजनाओं का प्रधानमंत्री चुनावी राज्यों में जा जा कर उदघाटन कर रहे हैं और गोदी मीडिया इन कार्यक्रमों को बढ़चढ़ के प्रसारित कर रहा है और गुजरात तथा हिमाचल की भाजपा सरकार की तारीफों के पुल बांधे जा रहा है।  पर इन सबके बीच महाराष्ट्र जैसे राज्यों का क्या? वहां के बेरोज़गार नौजवानों का क्या? उन लाखों उम्मीदों का क्या जिन्हें इस प्रकार की चुनावी रेवड़ी ने तार तार कर दिया? 

सच्चा पिता वो होता है जो अपने सभी बच्चों को एक सामान प्यार करे, वो निजी स्वार्थ के लिए बच्चों के बीच भेदभाव नहीं कर सकता। ठीक उसी प्रकार किसी देश का सत्ताधीश देश की जनता से निजी स्वार्थों के कारण कोई छल नहीं कर सकता। पर अगर ऐसा हो रहा है तो इसके लिए किसे ज़िम्मेदार ठहराया जाए? किससे सवाल किया जाए? कहीं कोई आवाज़ बुलंद हुई की उस आवाज़ को दबाने के भरसक प्रयास शुरू हो जाते हैं। कहीं ED कहीं IT कहीं CBI, अगर कुछ ना मिले तो अंत में UAPA तो है ही। पर सच एक स्प्रिंग की तरह  होता है आप इसे जितना दबायेंगे उतना ही उछलकर सामने आ जाता है। 


देखते पढ़ते रहिये ऐसे ही तमाम "सच", आपके अपने मिडिया मंच "द लैम्पपोस्ट" पर 


रिपोर्ट: धर्मेश कुमार रानू 

(Dharmesh Kumar Ranu- The LampPost)

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