खून की बारिश! (The Blood Rain)
“बारिश को लेकर हम भारतीय लोगों के तरह तरह के जज़्बात जुड़े हैं। हम बचपन में नहाकर, खेलकर, कागज़ की नावों को तैरकर, "रेनी डे" की छुट्टियाँ बिताकर बड़े हुए हैंl लेकिन क्या आपने कभी आसमान से गिरती रंगीन बारिश को देखा है? क्या आपने अलग-अलग रंगों की बारिश देखी है? आइए जानते हैं इसकी रंगीन बारिश के रोचक तथ्य के बारे में"
"ये मौसम की बारिश, ये बारिश की बूंदे" इस गीत में छूपे ज़ज्बातों का हम सभी साल भर इंतज़ार करते हैं। बारिश का सबसे ज्यादा इंतज़ार किसान भाइयों को होता है, कि कब हो और कब उनके खेत खुशहालियों से भर उठें। " बरसात के मौसम का वातावरण मनमोहक और मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता है। जिसमें आपका मन उत्तेजित और उत्तेजित हो जाता है। बारिश का मौसम आते ही सबके मन में बारिश के गाने बजने लगते हैं। पहले बारिश का मजा ही कुछ अलग होता है। बारिश का आनंद लेने के कई तरीके हैं। कोई बाइक पर बारिश में भीग जाता है तो कोई भीगने के लिए घर के बरामदे की तरफ दौड़ता है। कोई चाय और गर्मा-गर्म पकोड़े का आनंद लेता है, कोई नाचता है और गाता है, कोई कागज की डोंगी बनाकर बारिश में खेलता है। युवा हो या बूढ़ा, सभी को बारिश के मौसम का लुत्फ उठाना पसंद होता है। अरे हाँ, अब एक नया चलन शुरू हो गया है, जब बारिश होती है, बारिश में भीगते हुए अपने वाटर प्रूफ फोन से सेल्फी लेना और उस फोटो को व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम के स्टेटस में "एनजॉयिंग रेन" लिखकर अपडेट करना, इतना ही नहीं, बारिश के गानों के वीडियो और बारिश का वीडियो डाउनलोड स्टेटस अपडेट करना!
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बारिश में भीगना और सेल्फ लेने का ट्रेंड ज़बरदस्त है |
अब बारिश का मौसम शुरू हो गया है और आपने पहले बारिश का आनंद लिया होगा। लेकिन सोचिए अगर हम बारिश का इंतजार कर रहे हैं, तो आसमान बादलों से ढका हुआ है और जब आसमान से बारिश होती है, तो अचानक आपको एहसास होता है कि बारिश का रंग ही बदल गया है! सामान्य बारिश की जगह लाल, हरी या पीली बारिश! अजीब लगता है, है ना? क्योंकि आज तक हमने एक ही तरह की बारिश देखी है..टिप..टिप , बूंदा बांदी, गरज के साथ या बिजली के साथऔर कभी-कभी मूसलाधार बारिश भी देखी है लेकिन हमने अब तक कभी भी अलग-अलग रंगों की बारिश नहीं देखी या सुनी है, इसलिए यह स्वाभाविक है कि हम इस पर विश्वास नहीं करते। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि बारिश भी हुई "लाल!"
मेधराज ने आसमान से बरसाए लाल रंग!
25 जुलाई 2001 को भारत के केरल राज्य में एक तेज हवा चली और हवा के साथ-साथ बादलों ने आसमान को काला कर दिया, बिजली की आवाज आने लगी और अचानक बारिश होने लगी। लोगों ने बारिश के पानी का रंग देखा तो उनके रोंगटे खड़े हो गए! उस बारिश का पानी लाल था और आसमान से ही लाल बारिश हो रही है! लाल बारिश देखकर लोगों को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ, सभी हैरान रह गए! हर कोई सोच रहा था कि यह कैसे संभव हो सकता है!
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केरल में हुई थी खूनी लाल रंग की रहस्यमई बारिश |
सड़कों पर लाल रंग का पानी भर गया, लोगों ने मटके में पानी भरकर देखा कि क्या सच में लाल रंग था या यह एक भ्रम था। इतना ही नहीं लाल रंग का पानी कपड़ों पर खून जैसे लाल धब्बे छोड़ रहा था। इस घटना को देख कई लोग डर गए। वहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि यह खून की बारिश थी! आसमान से खून बह रहा था! केरल के कोट्टायम जिले में उस समय सबसे तेज लाल बारिश हुई थी। रंगीन बारिश 25 जुलाई 2001 को कोट्टायम और इडुक्की जिलों में शुरू हुई और 23 सितंबर 2001 तक राज्य के विभिन्न स्थानों पर जारी रही। साथ ही राज्य के दक्षिणी हिस्से में पीली, हरी और काली बारिश दर्ज की गई!
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लोगों ने बर्तनों में जमा किया था बारिश का लाल पानी |
हालांकि, उन दिनों लाल बारिश की कई घटनाएं सामने आई थीं। इस घटना ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था. लोग कहते थे कि इससे पहले 1896 में भी लाल बारिश हुई थी। लेकिन अन्य शोधकर्ताओं ने 1818, 1846, 1872, 1880, 1896 और 1950 में लाल रंग की वर्षा आवृत्तियों के घटकों का उल्लेख किया है। जिनमें से एक का वर्णन चार्ल्स डार्विन ने किया है। 2001 में लाल बारिश के बाद, 2006, 2007, 2008 और 2012 की गर्मियों के दौरान केरल में फिर से लाल बारिश हुई! साथ ही श्रीलंका के पूर्वी और उत्तरी हिस्सों के कुछ इलाकों में नवंबर-दिसंबर में इस रंग की बारिश हुई थी। इन इलाकों में 15 मिनट से ज्यादा बारिश हुई
2001 में बारिश होने के बाद, वे बारिश के पानी को एक वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र में ले गए। पहले तो वैज्ञानिकों को लगा कि आसमान से रंगीन पानी बरसना कोई बड़ी बात नहीं है और इस तरह की बारिश के लिए प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग जिम्मेदार हैं। फैक्ट्रियों से निकलने वाले रासायनिक धुंए हैं जो बादलों के साथ मिल रहे हैं और बारिश हो रही है, यानी बारिश और प्रदूषण के संयोजन से बारिश हो रही है! यानी बारिश के साथ प्रदूषण कम हो रहा है!
यह भी निष्कर्ष निकाला गया कि एक विस्फोट उल्कापिंड के मलबे ने बारिश के पानी को लाल कर दिया! हालाँकि, यह दोनों ही कयास गलत साबित हुए और पाया गया कि यह उल्कापिंड या प्रदूषण का परिणाम नहीं थाl
रिसर्च के दौरान लाल रंग के पानी में मिले जीवन के सबूत!
तो यह स्पष्ट हो गया कि यह सिर्फ लाल पानी नहीं था, बल्कि कुछ ऐसा था जो खून से बना था! वैज्ञानिकों ने इसमें डीएनए खोजने की कोशिश की लेकिन असफल रहे। इस लाल बारिश पर एक अंतरराष्ट्रीय खोज शुरू हुई और 2012 में वैज्ञानिकों को इस लाल रंग के पानी में कुछ डीएनए मिला। कोई हिस्सा दिखाई देने लगा! इसके बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद शुरू हो गया और कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि इसका एलियंस से कुछ लेना-देना है!
इसके बाद पानी का नमूना ट्रॉपिकल बॉटनिकल गार्डन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (TBGRI) भेजा गया। वहां पता चला कि यह शैवाल के कारण होता है! लाल वर्षा शैवाल द्वारा छोड़े गए जीवाणुओं के कारण हुई।
अब ये बात वाकई सोचने वाली है कि केरल और श्रीलंका के अलावा ऐसी बारिश दुनिया में और किसी जगह देखने को मिली या नहीं और ऐसा कोई डाटा भी उपलब्ध नहीं है। फिर इस लाल रंग की बारिश का क्या कारण था!? इतने वर्षों के शोध के बाद भी कोई सटीक परिणाम नहीं मिला। यह वैज्ञानिकों और जनता के लिए आअज भी एक रहस्य बना हुआ है।
लेखक - हर्षित कोठारी (Harshit Kothari)
-The LampPost
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