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सुप्रीम कोर्ट ने कहा:घृणा का माहौल देश पर हावी हो गया है, धर्म की परवाह किए बिना कार्रवाई की जानी चाहिए l
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड की पुलिस को नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, दिल्ली पुलिस को बताना है कि भाजपा सांसद परवेश वर्मा के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है?
नफरत जब व्यक्ति व समुदाय के बंधन से आज़ाद होकर राजनैतिक रेवड़ी बन जाती है तब इसका यह आसुरी स्वरूप ज़हर उगलकर पूरे समाज की चेतना को विषाक्त कर देता है। हमारे देश में आये दिन ऐसे मामले देखने को मिलते रहते हैं जहाँ किसी कट्टरपंथी संगठन या तथाकथित संतों आदि की सभाओं से एक समुदाय विशेष के प्रति नफरत भरे भाषण या फरमान सुनाये जाते हैं। नफरत के समर्थकों का हमारे देश में एक वर्ग निर्मित हुआ है और तेज़ी से फैला भी है।
चूंकि इस देश में हिन्दू और मुसलमान सदियों से सामंजस्य से व प्रेम से रहते आ रहे थे, इतिहास में दर्ज घटनाओं के हवालों से पता चलता है कि अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो नीति जिसको दोनों ही धर्मों के कट्टरपंथियों का वैचारिक रूप से समर्थन मिला, इन्हीं विचारधारा के लोगों ने अपने राजनैतिक हित साधने के लिए अंग्रेजों से गुपचुप समझौते किये, ये वही लोग थे जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ हुए विभिन्न आन्दोलनों में भाग नहीं लिया, परन्तु जब इन्हें राजनैतिक हित साधने हुए तो अंग्रेजों द्वारा गठित असेम्बली के ज़रिये बंगाल में मुस्लिम लीग के साथ मिलकर हिन्दू महासभा ने सरकार भी बनाई। है ना विडम्बना? परन्तु सत्य है!
खैर! उस विषय में फिर कभी विस्तार से बात करेंगे, पर अब आ जाते हैं प्रमुख मुद्दे पर। कुछ महीनों से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) कुछ अहम् फैसले सूना रही है, और जो फैसले सरकार को काफी पहले ही ले लेने चाहिये थे, वे सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से लिए जा रहे हैं। मसलन पीछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यधारा की मीडिया (Main Stream Media) को उसमें दिखाए जाने वाले डिबेट प्रोग्राम्स को लेकर फटकार लगाई थी, और इन चैनलों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि नफरत फैलाने वाली डिबेट्स दुबारा इन चैनलों पर प्रसारित ना की जाएँ। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि अगर कोई न्यूज़ एंकर ऐसा करता है तो उसे तुरंत "ऑफ़ एयर" किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का मुख्यधारी की मीडिया अर्थात कथित "गोदी मीडिया" (Godi Media) कितना पालन करेगी ये तो देखने वाली बात होगी, पर देश की सर्वोच्च अदालतों से ऐसे फैसलों का आना बंजर हो चुकी राजनैतिक व सामाजिक चेतनाओं के बीच एक आशा का पुष्प खिलाती है। साथ ही साथ उच्चतम न्यायलय बार बार सरकारों को यह आइना दिखाती है कि वे नागरिक के हितों को लेकर कितनी लापरवाही बरत रहे हैं।
हालिया मामला "हेट स्पीच"(Hate speech) को लेकर सर्वोच्च अदालत से जारी किये गए फैसले का है। दरहसल 21 अक्टूबर, 2022 की रोज़ सुप्रीम कोर्ट ने अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ बढ़ रही नफरती बयानबाजियों से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकारों को सख्त आदेश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करना इस अदालत की जिम्मेदारी है। अभद्र भाषा पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों से कहा कि या तो कार्रवाई करें, नहीं तो अवमानना के लिए तैयार रहें. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड की पुलिस को नोटिस जारी किया है। अदालत ने पूछा है कि अभद्र भाषा में शामिल लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अभद्र भाषा को लेकर लगाए गए आरोप बेहद गंभीर हैं। भारत का संविधान हमें एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में परिकल्पित करता है। देश में अभद्र भाषा के संबंध में आईपीसी में उपयुक्त प्रावधानों के बावजूद निष्क्रियता है। हमें मार्गदर्शक सिद्धांतों का पालन करना होगा। शिकायत न होने पर भी पुलिस को स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर लापरवाही हुई तो अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने भड़काऊ भाषण देने वालों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धर्म की परवाह किए बिना कार्रवाई की जानी चाहिए। देश में नफरत का माहौल बना हुआ है। जो बयान दिए जा रहे हैं वे परेशान करने वाले हैं। ऐसे बयानों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने कहा- 21वीं सदी में क्या हो रहा है? हम धर्म के नाम पर कहां पहुंच गए हैं? हमने भगवान को कितना छोटा बना दिया है? उन्होंने कहा कि भारत का संविधान वैज्ञानिक सोच विकसित करने की बात करता है।
दरहसल, सुप्रीम कोर्ट "भारत में मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने और आतंकित करने के बढ़ते खतरे" को रोकने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा, हमें इस मामले के लिए इस अदालत में नहीं आना चाहिए, लेकिन हमने कई शिकायतें दर्ज कराई हैं। अदालत या प्रशासन कभी कार्रवाई नहीं करता। स्टेटस रिपोर्ट हमेशा मांगी जाती है। ये (नफरत फैलाने वाले) लोग आए दिन कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं।
सिब्बल ने भाजपा सांसद परवेश वर्मा के भाषण का हवाला दिया। ऐसा बीजेपी के एक नेता ने किया है. कहा गया है कि हम उनकी दुकान से नहीं खरीदेंगे, नौकरी नहीं देंगे। प्रशासन कुछ नहीं करता, हम कोर्ट के चक्कर लगाते रहते हैं।
पीठ ने कहा, भाषण में कहा गया है- जरूरत पड़ी तो हम उसका गला काट देंगे... सिब्बल ने कहा, हां, और व्यक्ति सत्ताधारी पार्टी के सांसद हैं। सिब्बल ने अदालत को अन्य घटनाओं की जानकारी दी।
बेंच ने कहा- क्या मुसलमान भी अभद्र भाषा कर रहे हैं? सिब्बल ने कहा, नहीं, पर अगर करते हैं तो उन्हें भी समान रूप से अभद्र भाषा इस्तेमाल नहीं करनी चाहिए। बेंच ने कहा, यह 21वीं सदी है, धर्म के नाम पर हम कहां पहुंच गए हैं?
जस्टिस हृषिकेश रॉय ने कहा, ये बयान बेहद परेशान करने वाले हैं. एक ऐसा देश जो लोकतंत्र और धर्म तटस्थ है। आप कह रहे हैं कि आईपीसी में कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन यह शिकायत एक समुदाय के खिलाफ हैl कोर्ट को यह नहीं देखना चाहिए। सिब्बल ने आगे कहा कि यह अभी अभी 9 अक्टूबर को हुआ था। हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा, कि एक धर्मनिरपेक्ष देश के लिए यह समय अत्यंत चौंकाने वाला है. किसी समुदाय के खिलाफ ऐसे बयान दिख रहे हैं. अदालत के रूप में ऐसे हालात पहले कभी नहीं देखे। वकील कपिल सिब्बल ने कहा- भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा मुस्लिम को बायकॉट करने की बात कर रहे हैं. पुलिस इस तरह के कार्यक्रमों में उपस्थित रहती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, दिल्ली पुलिस को बताना है कि परवेश वर्मा के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है?
मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हेट स्पीच देने वाले राजनीतिक नेताओं के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से UAPA के तहत कार्रवाई की याचिका दाखिल की गई है। दरअसल शाहीन अब्दुल्लाह नाम के याचिकाकर्ता ने मुसलमानों के खिलाफ घृणित टिप्पणी करने वालों के खिलाफ UAPA के तहत कार्यवाई की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इसके अलावा याचिका में मुसलमानों के खिलाफ घृणा फैलाने वालों मामलों की स्वतंत्र जांच की मांग भी की गई है।
(Dharmesh Kumar Ranu-The LampPost)
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