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आई.आई.टी. करके चाय का लगाओ ठेला, मोदी जी कृपा से हुआ है आत्मनिर्भरता का खेला!!

Level of Unemployment in India- MBA and IITians are selling tea


नथिंग टू डू नेक्स्ट..

इंजीनियरिंग ... छोड़ दो
एमबीए .... छोड़ दो
आईआईटी, एमकॉम, बीकॉम, तमाम रेपोटेटेड ग्रेजुएशन प्लेटफार्म...
छोड़ दो...
आखिर जरूरत भी क्या है, जब स्किल्स का ऑप्शन चाय बनाना ही है।
जब कोई स्टूडेंट 12 वीं पास होने के बाद अपने आने वाली पढ़ाई का रास्ता चुनता है, चाहे वो एमबीए हो या बी टेक या फिर आईआईटी, उसकी नजर में वो रास्ता ही उसके फ्यूचर में मिलने वाले जॉब और सोर्स इनकम का पॉइंट ऑफ व्यू है। पर लगातार हो रही मल्टीनेशनल कंपनियों की फायरिंग ने सोर्स ऑफ जॉब के सारे रास्तों पर बैरियर लगा दिया है। इसकी बड़ी वजह देश के इकोनॉमिकल क्राइसिस को सम्हाल न पाना है। सालाना 2 करोड़ रोजगार देने के वायदे को चाय बनाने के नाम पर भुनाया जा रहा है।
प्राइवेट हाथों में सौंपकर एजुकेशन सेक्टर को भारी बढ़ावा मिल रहा। नए-नए, हर तरह के टेक्निकल और नॉन टेक्निकल डिग्री कॉलेज खुल रहे है। संस्थानों से बम्पर जीएसटी वसूल कर पैरेंट्स से अंधाधुंध फीस वसूलने का मौका दे दिया जा रहा है, क्योंकि अच्छी नौकरी के लिए तो अच्छी शिक्षा देना हर परिवार का कर्तव्य है।
बट व्हाट फ़ॉर नेक्स्ट?
गैरजरूरी निवेश और बेमतलब के बांटे गए कर्ज ने सालों से जड़ जमाई हुई मल्टीनेशनल कंपनियों को उखाड़ फेंका है। लाखों रुपये ख़र्च कर पढ़ाई पूरी करने के बावजूद बच्चे चाय बेचने पर मजबूर हो रहे है।
- यह आत्मनिर्भर भारत का प्रमोशन है।
- यह रोजगार के नाम पर फैलाए गए मिस परसेप्शन का वायरल फीवर है।
- यह सरकार की अकर्मण्यता का दर्पण है।
क्योंकि ... नथिंग टू डू नेक्स्ट

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