PM के रूट पर एंबुलेंस आई कैसे?
एंबुलेंस में फिदायीन दस्ता होता तो?जिम्मेदार अब तक नप जाने चाहिए थे।
अहमदाबाद(Ahmedabad) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) का काफिला एक एंबुलेंस (Ambulance) के लिए रोकने की ख़बर पर मीडिया मंडी और 'भगतपुर' के 'सिर्री सोल्स' लहालोट हो रहे हैं।
हैडलाइन बनाई गई है - "PM ने काफ़िला रोक एंबुलेंस को रास्ता दिया"!
इस ख़बर के साथ एक वीडियो वायरल हो रहा है जो शायद VVIP की कार या उनके कारकेड की ही किसी गाड़ी के भीतर से बनाया गया है।
आइए इसकी पड़ताल करते हैं...
PM की सुरक्षा के लिए सब कुछ ब्लू बुक में लिखा है। हर काम उसके मुताबिक होता है। कहीं भी आने जाने पर धरती से आसमान तक इतनी सुरक्षा होती है कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता।
1) प्रधानमंत्री जैसे VVIP के लिए कम से कम एक घंटा पहले रूट लगता है।
(और तो और आजकल मुख्यमंत्रियों तक के लिए रूट लगने लगा है।)
2) VVIP के आवगमन से बहुत पहले हर तरह का ट्रैफिक डायवर्ट कर दिया जाता है।
3) कोई भी वाहन इस रोड पर आ ही नहीं सकता चाहे वो एंबुलेस ही क्यों न हो।
4) कल से जो वीडियो वायरल हो रहा है उसमें दिख रहा है कि कथित एंबुलेंस VVIP के कारकेड के एन बगल से गुजर रही है।
5) पूरे रास्ते पर बैरियर, हर्डल लगे होंगे तो ये एंबुलेस PM के रूट पर आई कैसे?
6) कथित एंबुलेंस में मरीज़ के नाम पर कोई फिदायीन दस्ता होता तो? एंबुलेंस में विस्फोटक लगा होता तो?
7) किस प्वाइंट पर किसने जांच की कि एंबुलेंस में मरीज़ ही है...किसने उसे आगे जाने की इजाजत दी?
वास्तव में अगर कोई गंभीर मरीज था भी तो भी उसे VVIP के रूट की बजाय डाइवर्टेड रूट से आगे भेजा जाना चाहिए था।
9)जिस प्रधानमंत्री को दस किलोमीटर दूर बैठे किसानों से जान का खतरा था उसे दस फुट दूर से निकली एक अनजान, अज्ञात एंबुलेंस से कितना गंभीर खतरा हो सकता था..!
कायदे से तो यह प्रधानमंत्री की सुरक्षा में अति गंभीर चूक का मामला है । इसके लिए जो भी जिम्मेदार हों उन्हें अब तक निलंबित हो जाना चाहिए था लेकिन आप हैं कि 'दया के सागर', करुणानिधान' माननीय प्रधानमंत्री के कसीदे काढ़ कर तालियां बजा रहे हैं।
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