बीते दिनों एक सभा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी (Narendra Modi) ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन का ज़िक्र करते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) का सहारा लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा, उन्होंने इस तस्वीर का ज़िक्र करते हुए कहा कि ‘मैं मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) का बहुत सम्मान करता हूं. वे इस भूमि के पुत्र हैं, जिनके पास लगभग 50 सालों का संसदीय और विधायी अनुभव है. लोगों की सेवा में वह जो कुछ भी कर सकते थे, उन्होंने करने की कोशिश की है. लेकिन मैं यह देखकर दुखी था कि खड़गे, जो पार्टी के अध्यक्ष हैं और उम्र में वरिष्ठ हैं, उनके साथ छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सत्र के दौरान कैसा व्यवहार किया गया.’
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कांग्रेस के अधिवेशन में झंडा फहराते अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे |
"मोदी जी किसकी छतरी की छाया के नीचे आपके “परम मित्र” ने देश के आकाश से लेकर पाताल तक सब कुछ लूटा ? हम तो तिरंगे की छाँव में खड़े कांग्रेसी हैं, जिसने “कंपनी राज” को हराकर देश को स्वतंत्र बनाया, और देश को “कंपनी राज” कभी बनने नहीं देंगे।"
ये बताइये, अडानी पर JPC कब ?"
.@narendramodi जी,
— Mallikarjun Kharge (@kharge) February 27, 2023
किसकी छतरी की छाया के नीचे आपके “परम मित्र” ने देश के आकाश से लेकर पाताल तक सब कुछ लूटा ?
हम तो तिरंगे की छाँव में खड़े कांग्रेसी हैं, जिसने “कंपनी राज” को हराकर देश को स्वतंत्र बनाया, और देश को “कंपनी राज” कभी बनने नहीं देंगे।
ये बताइये, अडानी पर JPC कब ?
तो इस तरह अडानी मामले पर लगातार चुप्पी साधे बैठे प्रधानमंत्री को कांग्रेस अध्यक्ष ने ललकारते हुए, अडानी काण्ड (Adani Scam) की JPC यानि जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी बनाने की मांग फिर से दोहराई।
अब रही बात उस फोटो की जिसका ज़िक्र प्रधानमंत्री ने किया था, तो उस पर हमारी तो यही राय है कि अगर किसी ने सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को धूप से बचने के लिए छतरी लगा दी तो इसमें इतना आपत्ति जनक कुछ भी नहीं है। 76 साल की एक बुज़ुर्ग महिला जो कड़क धूप में खड़ी है, उसके सम्मान से बढ़कर क्या हो सकता है? क्या इस देश ने बेटियों का और औरतों का सम्मान करना छोड़ दिया है? अगर नहीं, तो सामने झंडा रोहण कर रहे 80 साल के दलित वर्ग से आने वाले वरिष्ठ नेता, जिनको अध्यक्ष भी लोकतान्त्रिक तरीके से चुना गया है। उससे महज़ चार साल छोटी एक विधवा औरत जो पीछे कोने में खड़ी है, क्या उसे टारगेट किया जाना सही है?
मोदी जी आप अपनी पार्टी में भी एक अध्यक्ष लोकतांत्रिक तरीके से चुनकर दिखलाईये, और शर्त ये है कि लोकतांत्रिक तरीके से चुना गया वो अध्यक्ष आपके कथित करिश्माई चरित्र से अलग थलग अपने संगठन को लेकर स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने में सक्षम ज़रूर होना चाहिए। क्या ऐसा हो पाना सच में संभव है? अगर हाँ तो देरी किस बात की! पहले अपनी आस्तीन साफ़ कीजिये फिर दूसरों को नसीहत दीजिये। वरना आपका संगठन वही संगठन है जो प्रदेशों में बार बार मुख्यमंत्री बदलता रहता है, और कई बार तो राज्यों में पूरा का पूरा कैबिनेट बदल दिया जाता है। क्या यह रिमोट कण्ट्रोल सिस्टम का सबसे प्रमुख लक्षण नहीं है? इन सवालों के जवाब मैं नहीं कुछ वक्त में जनता आपसे मांगने लगेगी, इसीलिए जवाब तैयार रखियेगा।
-टीम लैम्पपोस्ट
(The LampPost)
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